
उत्तराखंड के चमोली जिले में अब तक गुमनाम रहे 12 किमी लंबे इस ट्रेक से गुजरते हुए आप हिमालय के सौंदर्य का अभूतपूर्व आनंद ले सकते हैं। इस ट्रेक के बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं है, क्योंकि हाल ही में इस ट्रेक को दो युवकों द्वारा खोजा गया है। समुद्र तल से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद पर अभिभूत कर देने वाली सुंदरता बिखरी हुई है।
इस ट्रेक की खोज उत्तराखंड के चमोली जिले के वाण गांव के हीरा सिंह और देवेंद्र बिष्ट ने की है। इस ट्रेक को नाम दिया गया है मोनाल ट्रेक, क्योंकि यहां मोनाल पक्षियों का बसेरा है। मोनाल पक्षी, उत्तराखंड राज्य का राष्ट्रीय पक्षी है। दुनिया की नजरों से दूर मोनाल ट्रेक हिमालय के खूबसूरत नजारों के लिए परफेक्ट जग़ह है। दावा है कि सनराइज और विंटर लाइन का नजारा देखने के लिए इससे बेहतर ट्रेक शायद ही कहीं और मिले। लोगों को इस गुमनाम ट्रेक के बारे में पता चले, उससे पहले आपको इस खूबसूरत मोनाल ट्रेक को कर लेना चाहिए।

मोनाल ट्रेक के बारे में……
मोनाल ट्रेक, उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक स्थित वाण गांव में आता है। वाण गांव से मोनाल टॉप तक पहुँचने के लिए दो अलग-अलग रास्ते हैं। दोनों की लंबाई 12-12 किमी है, जिस को पूरा करने में लगभग 3 से 5 दिन का समय लगेगा। मोनाल ट्रेक में एक से बढ़कर एक दृश्य देखने को मिलते हैं, यह ट्रेक रोमांच और रहस्य से भरा हुआ है। आपको यहां हरे-भरे बुग्याल, कई प्रकार के फूल और दूर-दूर तक हिमालय की चोटियां देखने को मिलेगीं। सूर्योदय और विंटर लाइन का नजारा देखने के लिए इससे बेहतर ट्रैक नहीं है। बता दें कि विंटर लाइन का नजारा देखने के लिए पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं, लेकिन यहां से इसका दीदार करना अपने आप में अनूठा एहसास है। यह ट्रेक चमोली के सबसे खूबसूरत ट्रेक में से एक है।
मोनाल ट्रेक पर हिमालय के दुर्लभ पक्षी मोनाल का बसेरा है। यहां आकर ऐसा लगता है मानो हम किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं। मोनाल ट्रेक से जिधर भी नजर दौड़ाओ, हिमालय की केदारनाथ, चौखंबा, नंदा देवी, हाथी पर्वत और त्रिशूल सहित अनेक गगनचुंबी चोटियों और खूबसूरत बुग्यालों का नजारा आनंदित कर देता है। खास बात यह है कि इस ट्रेक पर आप साल में कभी भी जा सकते हैं। अगर आपको बर्डवाचिंग करना पसंद है तो यह ट्रेक आपके लिए बिल्कुल परफेक्ट है, यहां आपको कई सारे पक्षी और जानवर देखने को मिलेंगे। यहां आपको मोनाल पक्षी और कस्तूरी मेरे भी देखने को मिलेगा। हजारों प्रकार के फूल भी ट्रेक में देखने को मिलेंगे। मोनाल टॉप से सूरज को उगते हुए और डूबते हुए देखना अलग एहसास कराता है। बर्फ से ढके पहाड़ों में जब सूरज की किरण पड़ती है तो पहाड़ चमकने लगता है। 12,500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचकर रोमांच चरम पर होता है, जहां का नजारा देखकर आप खुशी से झूम उठेंगे। यकीन मानिए आप यह नजारा कभी भूल नहीं पाएंगे।
कैसे करें ट्रेक……
पहला रास्ता…
मोनाल ट्रेक को करने के दो अलग-अलग रास्ते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए सबसे पहले वाण गांव जाएँ, रात को गांव में विश्राम करने के बाद अगले दिन ट्रेक में निकल पड़े। वाण गांव से कुखीना खाल चार किमी, कुखीना खाल से हुनेल पांच किमी, हुनेल से लगभग तीन किमी का ट्रेक करके आप मोनाल टॉप तक पहुँच सकते हैं।
दूसरा रास्ता….
इस ट्रेक का दूसरे रास्ता भी वाण गांव से शुरू होता है। वाण गांव से शुक्री खर्क चार किमी, इसके अगले दिन शुक्री खर्क से मेंडफाडा पांच किमी और मेंडफाडा से तीन किमी का ट्रेक करके आप मोनाल टॉप तक पहुंचेंगे।
ट्रेक के एक ओर रामणी के बालपाटा व नरेला बुग्याल और दूसरी ओर कैल देवता का मंदिर व पिंडर घाटी का खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है। नजरों के ठीक सामने एशिया के सबसे बड़े वेदनी व आली बुग्याल, रहस्यमयी रूपकुंड और ब्रह्मकमल की फुलवारी की सुंदरता बिखरी हुई है। मोनाल ट्रेक के बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है, यही वजह है कि यहां आपको भीड़ बिल्कुल नहीं मिलेगी। मोनाल ट्रेक में जो खूबसूरती और सुकून मिलेगा वो शायद ही कहीं और मिले। यकीन मानिए उस पल को आप कभी भूल नहीं पाएंगे।

कैसे पहुंचे…..
मोनाल ट्रैक करने के लिए आपको वाण गांव तक पहुंचना होगा, जहां से ये ट्रेक शुरू होता है। ट्रेन या फ्लाइट से आने पर आपको पहले देहरादून या ऋषिकेश पहुंचना होगा। आप ऋषिकेश और देहरादून से टैक्सी से वाण गांव तक जा सकते हैं। देहरादून या ऋषिकेश से कोई बस वाण गांव तक नहीं जाती है, इसलिए आपको निजी वाहन या टैक्सी से जाना होगा।