उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित रुद्रनाथ मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित एक धार्मिक स्थल है। 2286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा नीलकंठ महादेव के रूप में की जाती है, यह मंदिर हिंदुओं में एक खास धार्मिक महत्व रखता है।
रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव के मुख की पूजा होती है, बाकी बचे सम्पूर्ण शरीर की पूजा भारत के पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में की जाती है। रुद्रनाथ मंदिर पंचकेदार का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है, जो पंचकेदारों में से एक केदार कहलाता है। रुद्रनाथ के अलावा पंचकेदार में केदारनाथ, तुंगनाथ, मद्महेश्वर और कल्पेश्वर शामिल है। रुद्रनाथ मंदिर का वातावरण काफी शांत और शीतलता से भरा हुआ है। भगवान शिव जी को समर्पित रुद्रनाथ मंदिर एक गुफा में स्थित है, भारत में यह अकेला स्थान है, जहां भगवान शिव के चेहरे की पूजा होती है।
पौराणिक कथा…….
कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव हिमालय आए थे। पांडव भगवान शिव से अपने पाप के लिए क्षमा चाहते थे क्योंकि वे महाभारत के युद्ध में कौरवों को मारने के दोषी थे, पर भगवान शिव उनसे मिलना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने अपने आप को नंदी बैल के रूप में बदल लिया और कहीं छिप गए। इसके तुरंत बाद भगवान शिव का शरीर चार अलग-अलग भागों में विभाजित हो गया जिन्हे पंचकेदारों के रूप में जाना जाता है। जहाँ भगवान शिव का सिर पाया गया, वहां रुद्रनाथ मंदिर का निर्माण किया गया।
रुद्रनाथ मंदिर में चारो ओर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ है जो बर्फ की सफ़ेद चादर ओढे हुए हैं। रुद्रनाथ मंदिर में खड़े होकर बादल इतने पास दिखते हैं कि ऐसा लगता है मानो हम बादलों के बीच में है। रुद्रनाथ मंदिर ट्रैकिंग के लिए भी बेस्ट डेस्टिनेशन है। यहां ट्रेक करने के दौरान रास्ते में नदियाँ, झरने मिलते हैं जिन्हे देख कर मन प्रसन्न हो जाता है।
निकटतम स्थल…….
पनार बुग्याल…..
रुद्रनाथ मंदिर में स्थित पनार बुग्याल में चारों ओर हरी-भरी घास नजर आती है। यहां असंख्या प्रकार के फूलों की प्रजातियां हैं, जो यहां की सुंदरता को और भी बढ़ा देती है। रुद्रनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान यहां आकर चारों ओर हरे-भरे घास के मैदान देखकर आप मुस्कुरा उठेंगे।
कल्पवृक्ष……
रुद्रनाथ में जोशीमठ के निकट कल्पवृक्ष की एक लंबी श्रृंखला है। कल्पवृक्ष बहुत ही प्राचीन वृक्ष है, कहा जाता है कि इन वृक्षों में देवताओं का वास होता है इसलिए यहां इनकी पूजा की जाती है। यहां चारों ओर कल्पवृक्ष दिखाई देते हैं। माना जाता है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर ही आदि गुरु शंकराचार्य और तपस्या की थी। कहते हैं कि यहां के कल्पवृक्ष 1200 साल पुराने है।
नरसिंह मंदिर…….
नरसिंह मंदिर, रुद्रनाथ में जोशीमठ के निकट एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है, जहां बद्रीनाथ धाम की यात्रा के दौरान तीर्थ यात्री दर्शन के लिए आते हैं। यहां मंदिर में नरसिंह की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि भगवान नरसिंह की मूर्ति दिन-प्रतिदिन छोटी होती जा रही है। कहा जाता है कि जिस दिन यह मूर्ति लुप्त हो जाएगी उस दिन यहां आपदाएं आनी शुरू हो जाएगीं।
जोशीमठ……
जोशीमठ समुद्र तल से 6000 फुट की ऊंचाई पर स्थित एक मुख्य शहर है। जोशीमठ से ही रुद्रनाथ और चोपता के लिए पर्यटक जाते हैं। चारों ओर बर्फ से ढके ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से घिरा जोशीमठ बहुत खूबसूरत नजर आता है। जोशीमठ की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में की थी। जोशीमठ देश के चार मुख्य मठों में से एक है और इस जगह को प्राचीन समय में कार्तिकेयपुरा नाम से जाना जाता था। तीर्थ यात्रियों के लिए जोशीमठ बेहद खास जगह है क्योंकि यहां हजारों मंदिर हैं। अगर आप प्रकृति की छटा को महसूस करना चाहते हैं तो एक बार जोशीमठ जरूर जाएं।
रुद्रनाथ मंदिर की यात्रा गोपेश्वर से शुरू होती है। गोपेश्वर, ऐतिहासिक मंदिर गोपीनाथ मंदिर के लिए लोकप्रिय है। रुद्रनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान श्रद्धालु गोपीनाथ मंदिर व लौह त्रिशूल के दर्शन करना नहीं भूलते। रुद्रनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान भक्तगण बुग्यालों व चढ़ाइयों को पार करके पहुंचते हैं पित्रधार नामक स्थान जहां शिव, पार्वती और नारायण मंदिर है। यहां पर यात्री अपने पितरों के नाम के पत्थर रखते हैं।
रुद्रनाथ मंदिर के पास वैतरणी कुंड है, जहां शक्ति के रूप में पूजी जाने वाली शेषशायी विष्णु जी की मूर्ति भी है। मंदिर के एक ओर पांच पांडव, कुंती और द्रौपदी के साथ ही छोटे-छोटे मंदिर मौजूद हैं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले नारद कुंड है, जिसमें सभी यात्री स्नान करके अपनी थकान मिटाते हैं और उसी के बाद मंदिर के दर्शन करने पहुंचते हैं। इसके अलावा पास में ही सूर्य कुंड, चंद्र कुंड, तार कुंड और मान कुंड भी है।
रुद्रनाथ यात्रा के दौरान आपको रास्ते में हिमालयी मोर, मोनाल, थुनार व मृग जैसी जंगली जानवरों के दर्शन होते हैं। यहां भोजपत्र के वृक्ष और ब्रह्मकमल भी बड़ी संख्या में देखने को मिलते हैं। रुद्रनाथ मंदिर से हाथी पर्वत, नंदा देवी और त्रिशूल पर्वत के शिखरों को देखा जा सकता है। यहां की इंद्रधनुषी छटा आप को मंत्रमुग्ध कर देगी। रुद्रनाथ का पूरा इलाका इतना अलौकिक है कि यहां के सौंदर्य को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
रुद्रनाथ की यात्रा मई के महीने में शुरू हो जाती है, इस समय यहां रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलते हैं। रुद्रनाथ जाने का सबसे सही समय अगस्त से सितंबर का महीना होता है। इस समय यहां रंग-बिरंगे फूलों से सजी घटिया लोगों का मन मोह लेती है। इस समय यहां चारों ओर हरियाली रहती है।
कैसे पहुंचे……..
हवाई यात्रा : रुद्रनाथ से निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जौली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो गोपेश्वर से लगभग 258 किमी की दूरी पर है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से गोपेश्वर तक टैक्सी तथा बस सेवाएं उपलब्ध है।
रेल मार्ग : गोपेश्वर से निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है जो गोपेश्वर से लगभग 241 किमी की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश से गोपेश्वर बस या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग : रुद्रनाथ पहुँचने के लिए सड़क मार्ग सबसे बेहतर विकल्प है। यहाँ आप बस, टैक्सी या निजी वाहन से आसानी से पहुँच सकते हैं।