उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों में हर वर्ष गर्मियों के मौसम में चारधाम यात्रा का आयोजन होता है। इन चारों स्थलों को काफी पवित्र माना जाता है। इन चारों धामों की यात्रा में हिंदुओं का काफी महत्व है। चार धाम पर आने वाले समस्त श्रद्धालुओं के पाप धुल जाते हैं और आत्मा को जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। जानिए चार धाम रूट के बारे में सफर से जुड़ी जानकारी.
यमनोत्री
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम चार धाम तीर्थ यात्रा का पहला पड़ाव है। यमुनोत्री धाम वहां है जहां भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी यमुना नदी का उद्गम स्थल है। इस साल यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई 2021 को खुलेंगे। यहां स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार यमुनोत्री धाम असित मुनि का निवास था। माना जाता है कि यमनोत्री धाम को 1839 में टिहरी के राजा नरेश सुदर्शन शाह द्वारा बनाया गया था। यहां मंदिर के पास कई गर्म पानी के झरने हैं, जिनके बीच सूर्य कुंड सबसे महत्वपूर्ण कुंड है। सूर्य कुंड में सभी भक्त चावल और आलू उबालते हैं और इसे देवी के प्रसाद के रूप में स्वीकार करते हैं। मंदिर के गर्भ गृह में देवी यमुना की काले संगमरमर की मूर्ति विराजमान है। यमुना देवी को सूर्य की बेटी और यंम की जुड़वा बहन माना जाता है।
कैसे पहुंचें यमनोत्री धाम: यात्री रेल, बस और हवाई सफर के जरिए यमनोत्री धाम की यात्रा कर सकते हैं। जानिए, सफर से जुड़ी जानकारी…
हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट है। यहां से यमुनोत्री की दूरी 210 किमी है।
रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार और ऋषिकेश है। यहां से यमुनोत्री की दूरी 223 किमी है।
सड़क मार्ग: सड़क के रास्ते से यमुनोत्री पहुंचने के लिए हरिद्वार-ऋषिकेश समेत अन्य प्रमुख शहरों से बस, टैक्सी व अन्य वाहनों की व्यवस्था है।
गंगोत्री
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के ग्रेटर हिमालय रेंज में स्थित गंगोत्री धाम को गंगा नदी का उद्गम माना गया है। गंगोत्री धाम देवी गंगा को समर्पित है। इस साल गंगोत्री धाम के कपाट 14 मई 2021 को खुलेंगे। गंगा का उद्गम स्त्रोत यहां से लगभग 19 किमी की दूरी पर गोमुख स्थित गंगोत्री ग्लेशियर में है। मान्यता है कि श्रीराम के पूर्वज चक्रवर्ती राजा भागीरथ ने यहां भगवान शिव का कठोर तप किया था। शिव की कृपा से देवी गंगा ने इसी स्थान पर धरती का स्पर्श किया।
माना जाता है कि मानव जाति के पापों को मुक्त करने के लिए गंगा पृथ्वी पर आई थी। गंगोत्री का मूल मंदिर 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में अमर सिंह थापा द्वारा बनाया गया था। गंगोत्री मंदिर सफेद ग्रेनाइट के चमकदार 20 फ़ीट ऊँचे पत्थरों से निर्मित है।
यहां शिवलिंग के रूप में एक नैसर्गिक चट्टान भागीरथी नदी में जलमग्न है। यह दृश्य अत्यधिक मनोरम एवं आकर्षक है। गंगोत्री मंदिर में शाम होते ही ज़ब गंगा नदी का स्तर कम हो जाता है उस समय पवित्र शिवलिंग के दर्शन होते हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु गंगोत्री के दर्शन के लिए आते हैं। चारधाम की यात्रा के दौरान आप गंगोत्री दर्शन के लिए ऐसे पहुंच सकते हैं…….
हवाई मार्ग : नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट है जहां से गंगोत्री की दूरी 226 किमी है।
रेल मार्ग : गंगोत्री से नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार और ऋषिकेश है, जहां से गंगोत्री धाम की दूरी 251 किमी है।
सड़क मार्ग : सड़क मार्ग से गंगोत्री धाम जाने के लिए हरिद्वार-ऋषिकेश से बस, टैक्सी, निजी वाहन या अन्य साधन लेकर गंगोत्री पहुंचा जा सकता है।
केदारनाथ
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। इस साल केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 17 मई 2021 को खुल जायेंगे। भूरे रंग के विशालकाय पत्थरों से निर्मित कत्यूरी शैली के मंदिर का निर्माण पांडव वंश के राजा जन्मेजय ने कराया था। मंदिर के गर्भ गृह में स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है। मान्यता है कि आठवीं सदी में चारों दिशाओं में चारधाम स्थापित करने के बाद 32 वर्ष की आयु में शंकराचार्य ने केदारनाथ धाम में ही समाधि ली थी। चार धाम यात्रा का तीसरा पड़ाव केदारनाथ धाम को माना जाता है। तीर्थयात्री यमुनोत्री और गंगोत्री से यमुना और गंगा का जल लाकर केदारनाथ का जलाभिषेक कर बाबा केदारनाथ का प्रशन्न करते हैं। केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए ऐसे जाया जा सकता है।
हवाई मार्ग : केदारनाथ धाम से नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट हवाई अड्डा है, जहां से केदारनाथ की दूरी 239 किमी है।
रेल मार्ग : हरिद्वार और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन नजदीकी रेलवे स्टेशन है। हरिद्वार और ऋषिकेश तक आप रेल से जा सकते हैं। ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी लगभग 230 किमी है।
सड़क मार्ग : हरिद्वार- ऋषिकेश से बस, टैक्सी, निजी वाहन या अन्य साधन लेकर केदारनाथ तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
बद्रीनाथ
बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित पंच-बद्री में से एक बद्री है। इस साल बद्रीनाथ धाम के कपाट 18 मई 2021 को खुलेंगे। प्राचीन शैली में बना भगवान विष्णु का मंदिर बहुत विशाल है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर ने बद्रीनारायण की छवि एक काले पत्थर पर शालिग्राम के पत्थर के ऊपर अलकनंदा नदी में खोजी थी। मान्यता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं सदी में मंदिर का निर्माण करवाया था। यह पूरा मंदिर प्रकृति की गोद में स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम को ‘धरती का बैकुंठ’ भी कहा जाता है। चारधाम यात्रा में चौथा पड़ाव बद्रीनाथ को माना जाता है। यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ के दर्शन करने के बाद यहां के दर्शन करने की परंपरा है। भगवान बद्रीनाथ के दर्शन के लिए आप ऐसे पहुंच सकते हैं….
हवाई मार्ग : बद्रीनाथ धाम नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट है। यहां से बद्रीनाथ धाम की दूरी 316 किमी है।
रेल मार्ग : बद्रीनाथ धाम से नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार और ऋषिकेश हैं। यहां से बद्रीनाथ धाम की दूरी लगभग 297 किमी है।
सड़क मार्ग : हरिद्वार-ऋषिकेश या अन्य प्रमुख शहरों से बस, टैक्सी या अन्य साधन लेकर बद्रीनाथ तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
किस धाम के कपट कब खुलेंगे..
यमनोत्री – 14 मई 2021
गंगोत्री – 14 मई 2021
केदारनाथ – 17 मई 2021
बद्रीनाथ – 18 मई 2021