यमुनोत्री धाम ( Yamunotri Dham-2021 )

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित, यमुनोत्री धाम तीर्थ यात्रा में पहला पड़ाव है। परंपरागत रूप से यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। जानकीचट्टी से 6 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद यमुनोत्री पहुंचा जा सकता है। यह माना जाता है कि उसके पानी में स्नान से सभी पापों को शुद्ध किया जाता है और असामान्य और दर्दनाक मौत से बचा जा सकता है।

Description

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित, यमुनोत्री धाम तीर्थ यात्रा में पहला पड़ाव है। परंपरागत रूप से यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। जानकीचट्टी से 6 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद यमुनोत्री पहुंचा जा सकता है। यह माना जाता है कि उसके पानी में स्नान से सभी पापों को शुद्ध किया जाता है और असामान्य और दर्दनाक मौत से बचा जा सकता है। माना जाता है कि यमुनोत्री का मंदिर 1839 में टिहरी के राजा नरेश सुदर्शन शाह द्वारा बनाया गया था।

यमुना देवी के अलावा, गंगा देवी की मूर्ति भी श्रद्धेय मंदिर में स्थित है। यमुनोत्री मंदिर के समीप कई गर्म पानी के सोते हैं जो विभिन्‍न पूलों से होकर गुजरती है। इनमें से सूर्य कुंड प्रसिद्ध है। कहा जाता है अपनी बेटी को आर्शीवाद देने के लिए भगवान सूर्य ने गर्म जलधारा का रूप धारण किया। श्रद्धालु इसी कुंड में चावल और आलू कपड़े में बांधकर कुछ मिनट तक छोड़ देते हैं, जिससे यह पक जाता है। तीर्थयात्री पके हुए इन पदार्थों को प्रसादस्‍वरूप घर ले जाते हैं। सूर्य कुंड के नजदीक ही एक शिला है जिसको ‘दिव्‍य शिला’ के नाम से जाना जाता है।

तीर्थयात्री यमुना जी की पूजा करने से पहले इस दिव्‍य शिला का पूजन करते हैं। यमुनोत्री धाम वह धाम है जहाँ भक्त अपनी चारधाम यात्रा में सबसे पहले जाते हैं। यह धाम देवी यमुना को समर्पित है जो सूर्य की बेटी और यम (यमराज) की जुड़वां बहन थी। यह धाम यमुना नदी के तट पर स्थित है जिसका उदगम स्थल कालिंद पर्वत से निकल रहा है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार – एक बार भैया दूज के दिन, यमराज ने देवी यमुना को वचन दिया कि जो कोई भी नदी में डुबकी लगाएगा उसे यमलोक नहीं ले जाया जाएगा और इस प्रकार उसे मोक्ष प्राप्त होगा और शायद यही कारण है कि यमुनोत्री धाम चारों धामों में सबसे पहले आता है। लोगों का मानना ​​है कि यमुना के पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और असामयिक-दर्दनाक मौत से रक्षा होती है।

शीतकाल में जगह दुर्गम हो जाने के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते हैं और देवी यमुना की मूर्ति/ प्रतीक चिन्ह को उत्तरकाशी के खरसाली गांव में लाया जाता है और अगले छह महीने तक माता यमुनोत्री की प्रतिमा, शनि देव मंदिर में रखी जाती है । यमुनोत्री वहां है जहां से भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी यमुना नदी जन्म लेती है। यमुना का उदगम स्‍थल यमुनोत्री से लगभग एक किलोमीटर दूर 4421 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री ग्‍लेशियर है।

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