ब्रह्मताल ट्रेक ( Brahmatal Trek )

उत्तराखंड के चमोली जनपद में थराली ब्लॉक में स्थित ब्रह्मताल ट्रैक एक खूबसूरत पर्यटक स्थल है। देश-विदेश से पर्यटक यहां खूबसूरत नजारे देखने को आते हैं। उत्तराखंड के प्रत्येक धार्मिक या फिर पर्यटक स्थलों के साथ कोई ना कोई कहानी या फिर किवदंतियां जुड़ी होती है। यही कारण है कि यहां के पर्यटक व धार्मिक स्थलों का देश विदेश में अलग महत्व है। ब्रह्मताल को लेकर कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने बेदनी बुग्याल में वेदों की रचना करने से पूर्व यहां स्थित ताल के समीप बैठकर साधना की और कई वर्षों तक ध्यान मग्न रहे थे।

Description

उत्तराखंड के चमोली जनपद में थराली ब्लॉक में स्थित ब्रह्मताल ट्रैक एक खूबसूरत पर्यटक स्थल है। देश-विदेश से पर्यटक यहां खूबसूरत नजारे देखने को आते हैं। उत्तराखंड के प्रत्येक धार्मिक या फिर पर्यटक स्थलों के साथ कोई ना कोई कहानी या फिर किवदंतियां जुड़ी होती है। यही कारण है कि यहां के पर्यटक व धार्मिक स्थलों का देश विदेश में अलग महत्व है। ब्रह्मताल को लेकर कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने बेदनी बुग्याल में वेदों की रचना करने से पूर्व यहां स्थित ताल के समीप बैठकर साधना की और कई वर्षों तक ध्यान मग्न रहे थे।

रोमांच व प्रकृति प्रेमियों के लिए ब्रह्मताल ट्रैक कभी न भूलने वाला ट्रक बन सकता है।ब्रह्मताल की चोटी के शीर्ष से आपको हिमालय की कुछ विशाल चोटियों जैसे नंदा घुन्ती, त्रिशूल पर्वत और बेथरटोली हिमालय देखने को मिलते हैं। वहीं ब्रह्मताल से नंदा देवी राजजात के रूपकुंड झील तक ट्रेक मार्ग का एक विहंगम दृश्य भी दिखाई देता है।

ब्रह्मताल ट्रेक के दौरान जटरोपनी टॉप की एक और पैदल यात्रा भी की जा सकती है। यहां पहुंचने के बाद आसान पैदल दूरी तय कर आप ऊंची चोटियों और हिमालय की झीलों के साक्षी बन सकते हैं। यह क्षेत्र भोज पत्र (भोज पत्र जिनका सनातन धर्म में विशेष महत्तव है, इन्हीं पर पौराणिक काल में जब कागज की खोज नहीं हुई थी तब इन्हीं पर इतिहास लिखा गया था) , ब्रह्म कमल समेत अनेक दुर्लभ जड़ी बूटियों का भंडार है।

यह क्षेत्र साल के 8 महीने बर्फ से लकदक रहता है। ब्रह्मताल ट्रेक वैसे तो दो दिनों में भी किया का सकता है। लेकिन अगर आपको इस ट्रेक इस जगह को जीना है तो यह कम से कम पांच दिनों का ट्रेक है। ब्रह्मताल ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से दिसंबर के बीच का है।

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