मुनस्यारी ( Munsyari )

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मुनस्यारी पर्यटन स्थल उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। मुनस्यारी भारत, नेपाल और तिब्बत की सीमाओं से लगा हुआ क्षेत्र है जो चारों ओर से पर्वतों से घिरा हुआ है। समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी को उत्तराखंड के ‘छोटे कश्मीर’ के नाम से भी […]

मुनस्यारी पर्यटन स्थल उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। मुनस्यारी भारत, नेपाल और तिब्बत की सीमाओं से लगा हुआ क्षेत्र है जो चारों ओर से पर्वतों से घिरा हुआ है। समुद्र तल से 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी को उत्तराखंड के ‘छोटे कश्मीर’ के नाम से भी जाना जाता है। मुनस्यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रृंखला का विश्व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) हैं, जो इसके आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। किवदंतियों के अनुसार इसे पांडवों के स्वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है। मुनस्यारी बर्फ से ढके पहाड़ों का सुंदर पर्वतीय स्थल है, यदि आप कुदरत प्रेमी होने के साथ ट्रेकिंग के शौकीन भी हैं तो उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है मुनस्यारी हिल स्टेशन आपके लिए परफेक्ट जगह है। प्रकृति प्रेमियों के लिए मुनस्यारी एक आदर्श स्थान है, पर्यटक यहां पिकनिक मनाने आते हैं। सुबह शाम अलौकिक छटा बिखेरने की वजह से इस क्षेत्र को हिमनगरी भी कहा जाता है।

ऐतिहासिक रूप में भी मुनस्यारी एक महत्वपूर्ण स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि मुनस्यारी वह स्थान है जहां पर पांडवों ने स्वर्गारोहण की शुरुआत की थी। इस बात का साक्षी मुनस्यारी का पंचाचूली पर्वत है, जिसकी पांच चोटियां इन्हीं पांचों पांडवों का प्रतीक है। कहा जाता है कि द्रौपदी ने पांचों पांडवों के स्वर्गारोहण से पहले यहीं पर अंतिम बार भोजन बनाया था। मुनस्यारी गोरी गंगा नदी के साथ-साथ मिलम तक फैला हुआ है जो प्राचीन समय में भारत और तिब्बत का व्यापार केंद्र था। यहां के मुख्य निवासी शौका और भूटिया जनजाति के लोग आर्थिक तौर पर भारत और तिब्बत व्यापार के ऊपर निर्भर थे, परंतु 1962 में भारत और चीन के युद्ध के बाद सीमा बंद हो जाने के कारण व्यापार भी बंद हो गया। वहीं आज मुनस्यारी अपनी कुदरती प्राकृतिक सुंदरता के कारण बहुत लोकप्रिय स्थान बन गया है। मुनस्यारी उत्तराखंड का एक पर्वतीय हिल स्टेशन है जो खूबसूरती के मामले में किसी भी जगह से कम नहीं है। प्रकृति की गोद में बसा मुनस्यारी ऊंची पहाड़ियों और सुंदर दृश्यों के लिए जाना जाता है। मुनस्यारी बहुत ही खूबसूरत क्षेत्र है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आइए जानते हैं मुनस्यारी हिल स्टेशन और यहां घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों के बारे में……

पंचाचूली शिखर

मुनस्यारी के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है पंचाचूली शिखर, जो पांच शिखरों से मिलकर बनी हुई है। मान्यता है कि महाभारत काल में इसी पर्वत पर पांडवों ने स्वर्गारोहण की शुरुआत की थी। कहा जाता है कि यह पांच चोटियां इन्हीं पांचों पांडवों का प्रतीक है। जोहार घाटी की यह आकर्षक चोटी पिथौरागढ़ जिले की शान है। बर्फ से ढकी यह चोटियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पूर्व की तरफ से सोना ग्लेशियर तथा पश्चिम की तरफ से उत्तरी ग्लेशियर होते हुए पर्वतारोही पंचाचूली शिखर की यात्रा करते हैं।

बिर्थी फॉल्स

बिर्थी फॉल मुनस्यारी से 35 किमी दूर स्थित एक बहुत ही शानदार जगह है। घने जंगलों के बीच स्थित इस झरने से हिमालय पर्वतों के विहंगम दृश्य को देखा जा सकता है। बिर्थी फॉल की प्राकृतिक छटा को देखने के लिए दूर-दूर से देशी और विदेशी पर्यटक हर साल यहां आते हैं। अद्भुत दृश्यों के साथ यह वाटरफॉल मुनस्यारी के चुनिंदा और सबसे खास पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है। कालामुनि दर्रे से ट्रैकिंग यात्रा करते हुए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके आसपास मौजूद छोटी-छोटी घास और विभिन्न प्रकार के फूल इसे और भी खास बनाते हैं।

कालामुनि मंदिर

कालामुनि मंदिर मुनस्यारी से 15 किमी की दूरी पर स्थित है। देवी कालिका को समर्पित इस मंदिर में कालामुनि बाबा की मूर्ति भी स्थापित है। समुद्र तल से लगभग 9500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर मन को शांति प्रदान करता है। यह जगह बहुत ऊंचाई पर स्थित है इसलिए इसे कालामुनि टॉप के नाम से भी जाना जाता है। बिर्थी फॉल आते या जाते हुए आप कालामुनि मंदिर जा सकते हैं। प्राकृतिक दृश्यों से भरा यह स्थान अपने धार्मिक महत्व के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर की एक मान्यता बहुत प्रचलित है जिसमें श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मंदिर परिसर में घंटी बांधकर मां काली से प्रार्थना करते हैं।

माहेश्वरी कुंड

माहेश्वरी कुंड मुंसियारी के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में शामिल है, यह कुंड एक प्राचीन झील है जिसके साथ पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई है। यह झील मुनस्यारी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मदकोट रोड पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि इस स्थान पर एक यक्ष रहते थे और उन्हें एक बालिका से प्रेम हो गया था। परंतु गांव वालों ने उनकी शादी नहीं होने दी तो यक्ष ने क्रोध में आकर गांव में सूखा पड़ने का श्राप दे दिया, जिसके बाद यह पूरा शहर सूखे की चपेट में आ गया। गांव को बचाने के लिए ग्रामीणों ने यक्ष से माफी मांगी तो सूखा खत्म हुआ। माफी मांगने की परंपरा का पालन आज भी यहां किया जाता है। मुनस्यारी से माहेश्वरी कुंदर आप बहुत कम समय में पहुंच सकते हैं।

थमरी कुंड

मुनस्यारी से 10 किमी दूर स्थित थमरी कुंड घने जंगलों के बीच स्थित एक सुंदर तालाब है। थमरी कुंड कुमाऊं घाटी के अंतर्गत सबसे ताजे पानी की झील भी मानी जाती है। इस जगह का अपना धार्मिक महत्व है, कभी जब यहां बारिश कम होती है तो स्थानीय लोग थमरी कुंड पहुंचकर बारिश के लिए पूजा पाठ करते हैं। यहां से बर्फ से ढके हुए हिमालय पर्वतों का विहंगम दृश्य साफ देखा जा सकता है। थमरी कुंड अल्पाइन और कागज के वृक्षों से घिरा हुआ है जो इस जगह को शानदार दृश्य प्रदान करते हैं। थमरी कुंड शांति और स्वच्छता के कारण ट्रेकरों और पर्यटकों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है। अगर आप ट्रेक के माध्यम से जाना चाहते हैं तो मुख्य शहर से आपको 8 घंटे का समय लगेगा।

नंदा देवी मंदिर

मुनस्यारी का नंदा देवी मंदिर शहर से लगभग 3 किमी की दूरी पर मदकोट रोड पर स्थित है। मुनस्यारी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक समुद्र तल से 7500 फीट की ऊंचाई पर नंदा देवी मंदिर सुंदर कुमाऊनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर हजारों वर्षो से भी अधिक पुराना बताया जाता है। मान्यता के हिसाब से महत्वपूर्ण नंदा देवी मंदिर में हर साल अगस्त के महीने में नंदा देवी मेला आयोजित किया जाता है। हिमालय के खूबसूरत दृश्य देखने एवं पंचाचूली पर्वत के दर्शन के लिए देशभर से भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।

ट्राइबल (आदिवासी) हेरीटेज म्यूजियम

मुनस्यारी से 2 किमी की दूरी पर स्थित नन्सैंन गांव के सुरेंद्र सिंह जी के घर में स्थित यह निजी संग्रहालय पर्यटकों के लिए प्रमुख स्थलों में से एक है। मुनस्यारी एक ट्राइबल बाहुल्य इलाका है, यह लोग अपनी जीवनशैली और विरासत को बचाकर रखना अपनी शान समझते हैं। यह आदिवासी विरासत संग्रहालय इसी शान का एक उदाहरण है। इस संग्रहालय में भोटिया जनजाति के लोगों की पारंपरिक जीवन शैली और विरासत को बड़े तरीके से सहेजा गया है। यह संग्रहालय पर्यटकों को आदिवासियों की जीवन शैली से अवगत कराने वाला है। यहां आप बस, टैक्सी या फिर निजी वाहन से आसानी से पहुंच सकते हैं।

बैतुली धार

बैतुली धार 9000 फीट की ऊंचाई पर स्थित मुनस्यारी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। यह स्थान बलति और बालम ग्लेशियरों से ढके बर्फ के कारण प्रसिद्ध है। यहां से आप सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देख सकते हैं जो बहुत ही आकर्षक लगता है। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां से आप ऊंची ऊंची चोटियों के मनमोहक दृश्य देख सकते हैं। मुनस्यारी की यात्रा के दौरान पर्यटकों को एक बार यहां का रुख जरूर करना चाहिए।

मैडकोट

मुनस्यारी से 5 किमी की दूरी पर स्थित मैडकोट अपने गर्म पानी के प्राकृतिक कुंड के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि भूमि से उत्पन्न गर्म पानी का स्रोत त्वचा संबंधी रोग, बदन दर्द और गठिया जैसी बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है। पर्यटकों के लिए यह जगह बहुत सुंदर है क्योंकि यह शहरी भीड़भाड़ से अलग एक शांत परिवेश में स्थित है। मुनस्यारी से मेैडकोट आप निजी वाहन से पहुंच सकते हैं।

दरकोट टूरिस्ट प्लेस

मुनस्यारी से 6 किमी की दूरी पर स्थित दरकोट एक प्रसिद्ध लोकप्रिय स्थल है। दरकोट एक गांव है जो अपनी खरीदारी के लिए बहुत लोकप्रिय है। इस गांव में मिलने वाले शॉल और भेड़ के ऊन से बनी कंबल बहुत प्रसिद्ध है। पर्यटकों के लिए यह स्थान मुनस्यारी के आसपास के शिल्पकारों की कलाओं का प्रदर्शन दिखाने वाला है। मुनस्यारी की यात्रा के दौरान एक बार इस स्थान पर जरूर आना चाहिए।

अगर आप ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग के शौकीन हैं तो मुनस्यारी आपके लिए परफेक्ट जगह है। मुनस्यारी के ग्लेशियर और बुग्याल घूमने फिरने के शौकीन लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प हैं। यहां पर आप ट्रैकिंग एवं साहसिक खेल का आनंद ले सकते हैं। हिमालय की गोद में बसे होने के कारण मुनस्यारी में छोटे-बड़े अनेक ग्लेशियर हैं। मुनस्यारी से लगभग 43 किमी की पैदल यात्रा के बाद मिलम ग्लेशियर पहुंचा जा सकता है, गर्मियों में मई से अक्टूबर तक यहां देशी और विदेशी हजारों ट्रैकर आते हैं।

मुनस्यारी यात्रा के दौरान आप बुग्यालों की यात्रा का आनंद ले सकते हैं। ऊँचे पहाड़ों पर चढ़ाई करने के बाद हरे-भरे घास के मैदान कुदरत का अद्भुत उपहार है। खालिया टॉप मुनस्यारी में पड़ने वाले बुग्यालों में सबसे नजदीकी बुग्याल है। इसके अलावा यहां कई अनेक बुग्याल हैं जो अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं। इन बुग्यालों पर आप कस्तूरी मृग और मोनाल पक्षी को देख सकते हैं। मुनस्यारी यात्रा के दौरान इन बुग्याल ऊपर आप खूबसूरत फूलों और पेड़-पौधों के बीच कुदरती सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।

बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच सुंदर पर्वतीय स्थल मुनस्यारी प्राकृतिक सौंदर्यता का एक लोकप्रिय स्थान है। मुनस्यारी शहर की यात्रा के लिए आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग किसी भी साधन का चुनाव कर सकते हैं। सबसे बेहतर विकल्प की बात करें तो सड़क मार्ग सबसे बेहतर विकल्प है।

वायु मार्ग – अगर आप हवाई मार्ग का चुनाव करते हैं तो नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है। पंतनगर एयरपोर्ट से मुनस्यारी लगभग 310 किमी दूर है। हवाई अड्डे के बाहर से आपको टैक्सी आसानी से मिल जाएगी जिसके माध्यम से आप मुनस्यारी आसानी से पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग – अगर आपने मुनस्यारी की यात्रा के लिए रेलवे मार्ग का चुनाव किया है तो निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो मुनस्यारी से लगभग 275 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सी या बस किराए पर लेकर आसानी से मुनस्यारी पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग – अगर आपने मुनस्यारी की यात्रा के लिए सड़क मार्ग का चुनाव किया है तो मुनस्यारी उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली, देहरादून व अन्य राज्यों से नियमित रूप से बस सेवाएं उपलब्ध हैं। आप अपने निजी वाहन से भी मुनस्यारी की यात्रा कर सकते हैं।

मुनस्यारी की यात्रा करने के लिए आप मौसम के हिसाब से चुनाव कर सकते हैं। मुनस्यारी यात्रा का सबसे बेहतरीन समय मई से अक्टूबर के मध्य का है। गर्मियों में भी यहां का मौसम का तापमान सामान्य रहता है। जो लोग बर्फ का आनंद लेना चाहते हैं वह सर्दियों में मुनस्यारी का प्लान बना सकते हैं। सर्दियों में यहां भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। अगर आप कुदरत प्रेमी होने के साथ-साथ ट्रैकिंग के शौकीन भी है तो मुनस्यारी आपके लिए परफेक्ट जगह है।

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