कौसानी ( Kausani )
कौसानी उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले में स्थित एक खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल है। समुद्र तल से 6075 फीट की ऊंचाई पर बसा कौसानी हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता पिंगनाथ चोटी पर बसा है। विशाल हिमालय के अलावा यहां से नंदाकोट, त्रिशूल और नंदा देवी पर्वत का भव्य नजारा देखने को […]
कौसानी उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले में स्थित एक खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल है। समुद्र तल से 6075 फीट की ऊंचाई पर बसा कौसानी हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता पिंगनाथ चोटी पर बसा है। विशाल हिमालय के अलावा यहां से नंदाकोट, त्रिशूल और नंदा देवी पर्वत का भव्य नजारा देखने को मिलता है।
कौसानी एक पर्वतीय पर्यटक स्थल है जो चीड़ के घने पेड़ों के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहां से सोमेश्वर, गरुड़ और बैजनाथ कत्यूरी की सुंदर घाटियों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कौसानी को “भारत का स्विट्जरलैंड”कहा था। कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा कौसानी शहर अपने खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, खेल और धार्मिक स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
इस स्थान में एक चाय का बागान भी है, जो कौसानी से लगभग 6 किमी की दूरी पर बैजनाथ की तरफ है। इस क्षेत्र की चाय बहुत ही खुशबूदार और स्वादिष्ट होती है। वर्तमान में कौसानी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है और हर साल यहां पूरे विश्व से सैलानी आते हैं।
कौसानी के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इस स्थान पर कौशिक मुनि ने कठोर तपस्या की थी, इसलिए इस स्थान का नाम कौसानी रखा गया। वहीं, प्रसिद्ध भारतीय कवि सुमित्रानंदन पंत जो सन 1900 में कौसानी में पैदा हुए थे और महात्मा गांधी जो कि अनाशक्ति योग पर अपना कार्य पूरा करने के लिए 12 दिनों तक कौसानी में ठहरे थे।
इस दौरान ही महात्मा गांधी ने कौसानी को “भारत का स्विट्जरलैंड” नाम की उपाधि दी थी। महात्मा गांधी ने “यंग इंडिया” पुस्तक में कौसानी की अलौकिक सौंदर्यता के बारे में जानकारी देकर कौसानी को पूरे विश्व में प्रसिद्ध कर दिया। कौसानी एक पर्यटन स्थल है जो वेकेशन, हनीमून और प्रकृति प्रेमियों के लिए परफेक्ट जगह है। यहां हिमालय की बर्फ से ढकी पहाड़िया परफेक्ट व्यू देती हैं। अगर आप कौसानी घूमने आ रहे हैं तो जानते हैं यहां की खूबसूरत जगहों के बारे में……
अनाशक्ति आश्रम
अनाशक्ति आश्रम यहां का एक प्रसिद्ध आश्रम है, जहां महात्मा गांधी कुछ दिन के लिए रुके थे। इसे गांधी आश्रम भी कहा जाता है। इस आश्रम का निर्माण महात्मा गांधी को श्रद्धांजली देने के उद्देश्य से किया गया था। यहीं पर उन्होंने अनासक्ति योग नामक लेख लिखा था।इस आश्रम से बर्फ से ढके हिमालय को देखा जा सकता है। यहां से चौखंबा, नीलकंठ, नंदा घुंटी, त्रिशूल, नंदा देवी, नंदा खाट, नंदा कोट और पंचचुली शिखर दिखाई देते हैं।
लक्ष्मी आश्रम
यह आश्रम सरला आश्रम के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस आश्रम का निर्माण 1948 में सरलाबेन ने करवाया था। सरलाबेन का असली नाम कैथरीन हिलमेन था और बाद में वे गांधी जी की अनुयायी बन गई थी। यहां करीब 70 अनाथ और गरीब लड़कियां रहती है और पढ़ती हैं। यहां एक वर्कशॉप है जहां ये लड़कियां स्वेटर, दस्ताने, बैग और छोटी चटाइयां आदि बनाती हैं।
पंत संग्रहालय
हिन्दी के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म कौसानी में हुआ था। यहां एक संग्राहलय भी है, जिसे सुमित्रानंदन पंत गैलरी के नाम से जाना जाता है। जिस घर में उन्होंने अपना बचपन गुजारा था, उसी घर को संग्रहालय में बदल दिया गया है। संग्राहलय में हर वर्ष उनका जन्मदिन मनाया जाता है और उनके सम्मान में एक सम्मेलन का भी आयोजन किया जाता है। यहां उनके दैनिक जीवन से संबंधित वस्तुएं, कविताओं का संग्रह, पत्र, पुरस्कार आदि को रखा गया है।
कौसानी चाय बागान
कौसानी चाय बागान ऐसी जगह है जो प्रकृति और चाय प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग के समान है। ये चाय बागान कौसानी के पास ही स्थित हैं। यहां बागानों में घूमकर और चाय फैक्टरी में जाकर चाय उत्पादन के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यहां आने वाले पर्यटक यहां से चाय खरीदना नहीं भूलते। यहां की चाय का जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और अमेरिका में निर्यात किया जाता है।
बैजनाथ मंदिर
कौसानी से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैजनाथ मंदिर जो कौसानी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। यह ऐतिहासिक शहर कई प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों से सजा हुआ है। बैजनाथ मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी के दौरान किया गया था और पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव और पार्वती का विवाह यहां गूर नदी और गोमती नदी के संगम पर हुआ था।
रुद्रधारी जलप्रपात और गुफाएँ
रुद्रधारी फाल्स कौसानी से सिर्फ 12 किलोमीटर दूर एक खास पर्यटन स्थल है जो धान के खेतों और देवदार के जंगलों से घिरा हुआ है। यहाँ आप आदि कैलाश क्षेत्र में ट्रैकिंग करके इस जगह के प्राचीन गुफाओं के रहस्यों के बारे में जान सकते हैं।
ट्रैकिंग
जोखिम को पसंद करने वाले पर्यटक यहां ट्रेकिंग और रॉक क्लाइंबिंग (चट्टानों की चढ़ाई) का आनंद ले सकते हैं। सुंदर धुंगा ट्रेक, पिण्डारी ग्लेशियर ट्रेक और मिलम ग्लेशियर ट्रेक का नाम भारत के सबसे अच्छे ट्रेकिंग रूट में होता है। यह जगह हिंदू धर्म के एक त्योहार मकर संक्रांति को मनाने के लिए भी जाना जाता है, जिसे यहां उत्तरायनी कहते हैं।
अगर आप कौसानी हिल स्टेशन की यात्रा करना चाहते हैं तो सबसे अच्छा समय अप्रैल-जून और अक्टूबर-फरवरी के बीच होता है, इस समय यहां का मौसम काफी सुहावना रहता है। देश के अलग-अलग हिस्सों से हवाई, रेल और सड़क मार्ग से कौसानी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है। कौसानी का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। वहीं अगर आप सड़क मार्ग का विकल्प चुनते हैं तो कौसानी बस स्टेशन कई शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है, यहां से उत्तराखंड के पड़ोसी राज्यों से नियमित बसें चलती है।